मातृभाषा का अर्थ है जननी की भाषा अर्थात वह भाषा जो हमें संस्कृति देती है संस्कार देती है।
जानिये मातृभाषा मंच
मातृभाषा का अर्थ है जननी की भाषा अर्थात वह भाषा जो हमें संस्कृति देती है संस्कार देती है।
मात्र भाषा ज्ञान के स्थानांतरण के महत्वपूर्ण भूमिका रखती है। भाषा की अपनी एक संस्कृति होती है।
मातृभाषा संस्कृति के प्रवाह को लेकर चलती है वह परंपराओं के वाहक होती है। अपनी मातृभाषा के विचारों से जुड़ता है मातृभाषा सिर्फ हिंदी नहीं है बल्कि भारत में बोली जाने वाली प्रत्येक भाषा मातृभाषा है वह प्रत्येक भाषा मातृभाषा है जो व्यक्ति को गर्भकाल से और जन्म के बाद सीखने और बोलने को मिलती है।
जिस भाषा में वो सपने देखता है सोचता है तथा जिस भाषा में व्यक्ति सर्वोत्तम तरीके से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है वही मातृभाषा है।
इस कारण मात्र भाषा को संवैधानिक दायरे में बांधने की वजह है मन में बसाने की आवश्यकता है।
सभ्यता की पहचान भाषा और साहित्य से होती है, मातृभाषा साहित्यिक भाषा और विज्ञान की भाषा को अलग-अलग परिभाषित करते हुए हमारी मातृभाषा को साहित्यिक भाषा में पिरोने का प्रयास हुआ है मातृभाषा व्यक्ति के बहुत निकट होती है वह उसी से सब कुछ सीखता है।
मातृभाषा मातृभूमि और संस्कृति तीनों प्रथक प्रथक नहीं बल्कि एक ही है एक दूसरे से जुड़े हुए हैं इनका संरक्षण और संबोधन प्रत्येक नागरिक का दायित्व है